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Mother's day wishes in Sanskrit | जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

Published By: bhaktihome
Published on: Sunday, May 11, 2025
Last Updated: Sunday, May 11, 2025
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Mother's day wishes in Sanskrit
Table of contents

Mother's day wishes in sanskrit - मातृदेवो भव — यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि हमारे जीवन का मूल मंत्र है। माँ का प्रेम, त्याग और करुणा अमूल्य होती है। 

Mother's day wishes in sanskrit

संस्कृत, जो कि हमारी प्राचीन भाषा है, उसमें माँ के लिए अनेकों सुंदर और भावपूर्ण श्लोक तथा वाक्य उपलब्ध हैं। इस मातृ दिवस पर आइए माँ के प्रति अपने प्रेम और कृतज्ञता को संस्कृत के माध्यम से व्यक्त करें — एक दिव्य, शुद्ध और सांस्कृतिक अंदाज़ में।

Mother's day wishes in sanskrit - Top 10 Wishes

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।

 

मातृमान् पितृमानाचार्यवान् पुरुषो वेदः।

जिस पुरुष की माता, पिता और आचार्य हैं, वही सच्चा ज्ञानी होता है।
(Taittiriya Upanishad)

 

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता । 

मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् ॥

माता का स्थान सभी मनुष्यों के लिए सम्पूर्ण तीर्थों के सामान है और पिता समस्त देवताओं का स्वरूप हैं। इसलिए सभी मनुष्यों का यह परम कर्तव्य है कि वह माता पिता का आदर और सत्कार करें।

 

नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। 

नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥

माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं।

 

मातृदेवो भव।

माता देवता के समान पूजनीय होती है।
(Taittiriya Upanishad)

नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।

नास्ति मातृसमं त्राणं, नास्ति मातृसमा प्रपा॥

माँ के समान कोई छाया, मार्गदर्शक, रक्षक या प्रिय नहीं है।
(Skanda Purana)

 

गुरूणां चैव सर्वेषां माता परमेको गुरुः।।

माता सभी गुरूओं में सर्वश्रेष्ठ गुरु मानी जाती है।

 

मातृ देवो भवः।

माता ही इस संसार की देवता है।

 

मातुर्लोके मार्दवं साम्यशून्यम्।

मां की सहृदयता संसार में बेमिसाल है।

 

🌸 मातृ दिवस शुभेच्छा (Mother's Day Wishes in Sanskrit) 

  1. सर्वतीर्थमयी माता।
    माँ सभी तीर्थों का समावेश है।
     
  2. गुरुणामेव सर्वेषां माता गुरुतरा स्मृता।
    सभी गुरुओं में माँ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
     
  3. राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्रपत्नी तथैव च।
    पत्नीमाता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता॥
    राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी, पत्नी की माता और अपनी माता—ये पाँच माताएँ मानी जाती हैं।
    (Manusmriti)

     

  4. माता गुरुतरा भूमेरू।
    माँ इस पृथ्वी से भी अधिक भारी (महान) होती है।
     
  5. मातृदेवो भव पितृदेवो भव आचार्यदेवो भव अतिथिदेवो भव।
    माँ, पिता, आचार्य और अतिथि को देवता के समान मानो।
    (Taittiriya Upanishad)

     

  6. प्रशस्ता धार्मिकी विदुषी माता विद्यते यस्य स मातृमान्।
    जिसकी माता धर्मपरायण और विदुषी है, वही सच्चा मातृमान् है।

     

  7. मातृस्नेहम् अमृतसमानम्।
    माँ का प्रेम अमृत के समान है।
     
  8. मातुस्तुल्यं स्नेहं लोके न विद्यते।
    माँ जैसा प्रेम इस संसार में और कहीं नहीं।
     
  9. जननीं प्रति श्रद्धा नित्यमस्तु।
    माँ के प्रति श्रद्धा सदा बनी रहे।
     
  10. मातुः स्मितं सौख्यस्य मूलम्।
    माँ की मुस्कान ही सच्चे सुख का मूल है।
     
  11. मातरं नमामि सदा स्नेहेन।
    मैं माँ को सदा प्रेमपूर्वक नमन करता हूँ।
     
  12. मातृवाक्यं धर्मस्य मार्गः।
    माँ के शब्द धर्म के मार्गदर्शक होते हैं।
     
  13. मातुः सान्निध्यं स्वर्गसमानम्।
    माँ की उपस्थिति स्वर्ग के समान है।
     
  14. जननी जीवनस्य दीपः।
    माँ जीवन की रोशनी है।
     
  15. मातरं पूजयित्वा सर्वं लभ्यते।
    माँ की पूजा करने से सब कुछ प्राप्त होता है।
     
  16. मातरं प्रति प्रेमः अनन्तः।
    माँ के लिए प्रेम अनंत होता है।
     
  17. मातृवचनं शान्तिदायकं भवति।
    माँ की बातें शांति देने वाली होती हैं।
     
  18. मातुर्दर्शनं दुःखहरम्।
    माँ के दर्शन सभी दुखों को हर लेते हैं।
     
  19. जननीं दृष्ट्वा हर्षः जायते।
    माँ को देखकर हर्ष उत्पन्न होता है।
     
  20. मातरं संगिन्यां धन्यः जीवः।
    माँ का साथ पाने वाला जीवन धन्य है।
     
  21. मातुः करस्पर्शः अमोघः भवति।
    माँ का स्पर्श चमत्कारी होता है।
     
  22. मातृदर्शनात् क्लेशाः नश्यन्ति।
    माँ के दर्शन से सारे कष्ट मिट जाते हैं।
     
  23. मातृशब्दः स्वयं मंत्रस्वरूपः।
    ‘माँ’ शब्द स्वयं एक मंत्र के समान है।
     
  24. मातरं बन्धुषु श्रेष्ठाम्।
    माँ सबसे उत्तम रिश्तों में सर्वोच्च है।
     
  25. मातुः कृपया सर्वं संभवति।
    माँ की कृपा से सब संभव है।
     
  26. मातृप्रेमं न लभ्यते कोऽपि अपरः।
    माँ जैसा प्रेम किसी और से नहीं मिलता।
     
  27. मातरं विना न कोऽपि पूर्णः।
    माँ के बिना कोई पूर्ण नहीं होता।
     
  28. मातरं दृष्ट्वा आनन्दः जायते।
    माँ को देखकर हृदय आनंदित होता है।
     
  29. मातुः वाक्यं हृदयंगमं।
    माँ की बातें हृदय को छू जाती हैं।
     
  30. मातरं सदा पूजयामि।
    मैं माँ की सदा पूजा करता हूँ।
     
  31. मातुः चरणयोः एव सम्पदा निहिता।
    माँ के चरणों में ही समस्त संपदा है।
     
  32. मातृकृपा एव मम रक्षणम्।
    माँ की कृपा ही मेरा रक्षण है।
     
  33. मातृस्नेहः एव सच्चं सुखम्।
    माँ का स्नेह ही सच्चा सुख है।
     
  34. जननीं विना कश्चन न सम्पूर्णः।
    माँ के बिना कोई भी पूर्ण नहीं होता।
     
  35. मातरं नमामि सदा श्रद्धया।
    मैं माँ को सदा श्रद्धा से नमन करता हूँ।
     
  36. मातरं विना जीवनं शून्यम्।
    माँ के बिना जीवन शून्य है।
     
  37. तव हास्यं मम सौभाग्यं।
    तेरी मुस्कान मेरा सौभाग्य है।
     
  38. मातरं प्रति कृतज्ञतां निवारयितुं न शक्यते।
    माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना असंभव है।
     
  39. जननी सदा पूजनीया।
    माँ सदा पूजनीय है।
     
  40. मातृदेवो भव।
    माँ को देवता मानो।
    (Taittiriya Upanishad)
  41. मातृगर्भः प्रथमं धाम।
    माँ का गर्भ पहला धाम है।
     
  42. मातृपादरजः पुण्यं।
    माँ के चरणों की धूल पुण्य है।
     
  43. मातृभोजनमुत्तमम्।
    माँ का भोजन उत्तम है।
     
  44. मातृस्नेहः समुद्रोपमः।
    माँ का स्नेह समुद्र के समान है।
     
  45. मातृवाक्यं श्रुतोपमम्।
    माँ के वचन वेदों के समान हैं।
     
  46. मातृगर्भः प्रथमं धाम।
    माँ का गर्भ पहला धाम है।
  47. तुर्या भगिनी ज्येष्ठा मातुर्या च यवीयसी। मातामही च धात्री च सर्वास्ता मातरः समृताः।।

    मां की छोटी और बड़ी बहनें, नानी और धाय ये सब मां तुल्य हैं। माता के समान ही इनका आदर करना चाहिए।

     

Conclusion:

माँ वह शक्ति हैं जो हमारे जीवन की नींव रखती हैं। संस्कृत में कहे गए ये भावनात्मक वाक्य और श्लोक मातृस्नेह की गहराई को दर्शाते हैं। इस मातृ दिवस पर, इन संस्कृत शुभकामनाओं को साझा करके माँ को समर्पित करें अपना प्रेम, सम्मान और आभार। माँ के चरणों में समर्पण ही सच्ची श्रद्धांजलि है।


 

 

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