
Karwa Chauth Katha | Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi - इस दिन सुहागन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और उसके बाद निर्जला व्रत प्रारंभ करती हैं, जो चंद्रोदय के समय तक चलता है.
करवा चौथ की शाम को पूजा करती हैं, उस समय में करवा चौथ की व्रत कथा सुनना अनिवार्य है. करवा चौथ की व्रत कथा में साहूकार की बेटी करवा और उसके 7 भाइयों की कहानी सुनते हैं, जो इस व्रत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए पढ़ते हैं करवा चौथ व्रत कथा.
करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth Katha | Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi | वीरावती की कथा
करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार की बेटी और 7 बेटे रहते थे. साहूकार की बेटी का नाम करवा था. सभी 7 भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे. एक दिन की बात है, करवा अपने ससुराल से मायके आई थी और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का व्रत रखा था. उस रात वह काफी परेशान थी. भाइयों ने देखा तो उससे परेशानी का कारण जानना चाहा.
करवा ने बताया कि आज वह निर्जला व्रत है. यह व्रत तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक कि चंद्रमा को अर्घ्य न दे दिया जाए. चंद्रमा के उदित न होने से वह पारण नहीं कर सकती थी, तब तक वह भूख-प्यास से व्याकुल थी. बहन को इस हालत में देखकर सभी भाई परेशान हो गए. तभी उनमें से सबसे छोटे भाई को एक विचार आया.
वह घर के बाहर पीपल के पेड़ पर छलनी में एक दीपक रख देता है. दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रोदय हो रहा है. उसके बाद वह अपनी बहन को जाकर बताता है कि चांद निकल आया है. यह सुनकर करवा खुश होती है. वह उस छलनी के दीपक को चांद समझकर अर्घ्य देती है और पारण करने के लिए बैठ जाती है.
वह अपने मुंह में पहला निवाला डालती है, तो उसे छींक आ जाती है. दूसरा निवाला उठाती है तो उसमें बाल पड़ा होता है. तीसरा निवाला मुंह में डालती ही है कि उसे एक बुरी खबर सुनने को मिलती है. उसके पति का देहांत हो गया. यह सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं. वह बदहवास सी हो जाती है. रोने और चिल्लाने लगती है.
उसी बीच उसकी भाभी ने बताया कि व्रत के पारण के लिए उसके छोटे भाई ने क्या किया था. यह सुनकर करवा हैरान होती है, लेकिन वह प्रण करती है कि वह अपने पति को जीवित कराएगी. उसके पति के शव को सुरक्षित रखा जाता है. करवा शव के पास सालभर रहती है.
पति के शव के पास सूई जैसी घासें उगती हैं, उसे एकत्र कर लेती है. उस बार जब करवा चौथ का व्रत आता है, तो उसकी सभी भाभी व्रत रखती हैं. पूजा के समय वे सभी करवा से आशीर्वाद के लिए आती हैं. तो करवा उनसे कहती है कि यम की सूई ले लो, पिय की सूई दे दो, मुझे भी सुहागन बना दो. वह एक-एक करके 6 भाभियों से कहती है, तो वे मना कर देती है. वे कहती हैं कि छोटे भाई की वजह से ऐसा हुआ है तो तुम उसकी पत्नी से कहो.
सबसे आखिर में छोटे भाई की पत्नी आती है तो करवा उससे भी वही बात कहती है. छोटी भाभी भी उसकी बातें नहीं मानती है और उसे टालना चाहती है. लेकिन करवा उसे जोर से पकड़ लेती है. अंत में वह करवा की बात मान जाती है क्योंकि वह एक साल से कठोर तप कर रही थी.
छोटी भाभी अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली काटकर अमृत निकालती है और उसके मृत पति के मुख में डालती है. उसके प्रभाव से करवा का पति गणेश जी के नाम का स्मरण करते हुए जीवित हो जाता है. इस व्रत, गणेश जी और मां गौरी की कृपा से करवा का पति जीवित होता है.
जो भी यह व्रत करे, उसे गणेश जी और मां गौरी की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो.
करवा चौथ पर गणेश जी की कथा
बहुत समय पहले की बात है। एक अंधी बुढ़िया थी, वो गणेश जी की भक्त थी और विधि विधान से रोजाना गणेश जी का पूजन करती थी। एक दिन गणेश जी उस बुढ़िया से प्रसन्न हो गए और उसको दर्शन देकर बोला कि कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं आपको जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। उसनें अपेन बेटे और बहू से पूछा। उन्होंने कहा कि धन मांग लो और बहु ने कहा की पोता मांग लोष तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो मतलबी है, अपने मन की बाते बोल रहे हैं। फिर बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। तो तू अपनी आंखे मांग ले। जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से बीते।
उस बुढ़िया ने बेटे और बहू और पड़ौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिसमें बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आए और बोले, कि आपको क्या मांगना है कृप्या बताइए? हमारा वचन है जो आप मांगेगी सो वो हो जाएगा। गणेश जी के वचन सुनकर बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले -बुढ़िया मां तूने तो मुझे ठग लिया। तथास्तु कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये। हे गणेश जी! जैसे बुढिया मां को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना।
बोलो गणपति भगवान की जय।
करवा माता की आरती | Karwa Mata Ki Aarti In Hindi
ओम जय करवा मैया , माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया। होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया।