Horoscopers.com

Looking for Horoscopes, Zodiac Signs, Astrology, Numerology & More..

Visit Horoscopers.com

 

निर्जला एकादशी व्रत कथा | Nirjala ekadashi vrat katha

Published By: bhaktihome
Published on: Friday, June 6, 2025
Last Updated: Friday, June 6, 2025
Read Time 🕛
3 minutes
Table of contents

Nirjala ekadashi vrat katha, निर्जला एकादशी व्रत कथा  - निर्जला एकादशी व्रत का पालन जीवन के समस्त पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति हेतु अत्यंत आवश्यक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त विष्णुलोक को प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।

व्रतधारियों को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी की संध्या से लेकर द्वादशी की प्रातः तक कुल 36 घंटे तक पूर्ण निर्जल उपवास करना आवश्यक है। 

निर्जला एकादशी व्रत कथा | Nirjala ekadashi vrat katha 

भीमसेन की कथा इस व्रत से जुड़ी विशेष महिमा को उजागर करती है। उन्होंने व्यास मुनि से निवेदन किया कि "मेरी माता कुंती, भाई युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत रखते हैं। वे मुझे भी उपदेश देते हैं कि अन्न मत खाओ, अन्यथा नरक मिलेगा। परंतु मेरे उदर में अग्नि का निवास है, यदि मैं अन्न न लूं तो वह मेरी चर्बी को जलाने लगेगी। अतः कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे धर्म की रक्षा भी हो जाए और शरीर की भी।

इस पर व्यास जी ने समाधान दिया— "ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी एक ऐसा व्रत है, जिसे वर्ष में एक बार रखने पर ही सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। यह व्रत शरीर और आत्मा दोनों के कल्याण का माध्यम है।"

इस व्रत में भक्तजन को भगवान विष्णु का चरणामृत सेवन करना वर्जित नहीं है, क्योंकि यह व्रत अकाल मृत्यु से रक्षा करता है। 

 

निर्जला एकादशी व्रत में क्या करें?

  • श्रद्धा और नियम से इस व्रत को करने वाले को 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
  • इस दिन पितरों के निमित्त पंखा, छाता, कपड़े के जूते, सोना, चांदी, मिट्टी का घड़ा और फल दान करने की परंपरा है।
  • मीठे जल का प्याऊ लगवाना पुण्यदायक माना गया है।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप संपूर्ण दिवस करें। यह मंत्र श्रीमद्भागवत पुराण का सार माना गया है।
  • यदि आप फलाहार करते हैं, तो आपको ध्रुव की तपस्या के प्रथम मास जितना फल प्राप्त होता है।
  • यदि आप वायु-पान (पवनाहार) से उपवास कर पाएं, तो षष्ठमास की कठिन तपस्या के समान पुण्य मिलेगा।
  • इस दिन विशेष ध्यान रखें कि श्रद्धा अटल रहे, नास्तिकों की संगति न करें, दृष्टि में प्रेम और करुणा हो।
  • हर व्यक्ति में वासुदेव का रूप देख कर नमस्कार करें।
  • हिंसा से दूर रहें, अपराध क्षमा करें, क्रोध न करें, सच्चाई बोलें और मन में भगवान का ध्यान करें।
  • मुख से द्वादशाक्षरी मंत्र का जप करें।इस दिन भजन-कीर्तन करें, रात्रि को रामलीला व कृष्णलीला के माध्यम से जागरण करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दक्षिणा दें, परिक्रमा करें और शुभ वरदान मांगें।

निर्जला एकादशी का महात्म्य सुनने मात्र से आत्मा जागृत हो जाती है। प्रभु स्वयं मन-मंदिर में प्रकट हो जाते हैं। इस व्रत को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। 

 

 

BhaktiHome