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Panchak kya hota hai | पंचक क्या होता है

Published By: bhaktihome
Published on: Friday, August 23, 2024
Last Updated: Friday, August 23, 2024
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panchak kya hota hai
Table of contents

पंचक का अर्थ है पांच नक्षत्रों का मिलन। आइए जानते हैं पंचक क्या होता है (Panchak kya hota hai), पंचक नक्षत्र कौन-कौन से हैं पंचक के प्रकार और पंचक का प्रभाव क्या है? पंचक लगने पर क्या करना चाहिए?

 

पंचक क्या होता है - Panchak kya hota hai

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में पांच दिन ऐसे होते हैं, जिन पर कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता।

ऐसी मान्यता है कि इन दिनों मरने वाला व्यक्ति अपने साथ परिवार के पांच अन्य सदस्यों को भी ले जाता है। 

आइए जानते हैं पंचक के पांच रहस्य।

 

पंचक क्या है - Panchak kya hai - पंचक नक्षत्र कौन-कौन से हैं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल को पंचक कहते हैं। ये नक्षत्र हैं 

  1. धनिष्ठा, 
  2. शतभिषा, 
  3. पूर्वा भाद्रपद, 
  4. उत्तरा भाद्रपद और 
  5. रेवती

इन नक्षत्रों के मेल से पंचक नक्षत्र बनता है। 

चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन तक रहता है। इसलिए चंद्रमा दो राशियों में पांच दिन तक रहता है। 

इन पांच दिनों में चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है इसलिए इन पांच दिनों को पंचक कहते हैं। 

जब चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है तो हर माह में करीब 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस समय चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में होता है उसे पंचक कहते हैं।

पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है, हालांकि कुछ ऐसे काम भी हैं जिनकी मनाही नहीं होती है। इस नक्षत्र को अशुभ माना जाता है। 

इसे अशुभ नक्षत्रों का संयोग माना जाता है इसलिए पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना हानिकारक होता है। मान्यता है कि पंचक काल में कोई भी कार्य करने पर उसकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है। 

इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी कार्य अशुभ फल देता है। 

पंचक के दौरान विवाह, मुंडन जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं। पंचक काल या पंचक योग का मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है। हर साल इसके अलग-अलग संयोग बनते हैं। इसी वजह से ज्योतिष शास्त्र में पंचक की गणना का बहुत महत्व है।

 

पंचक के प्रकार - पंचक का प्रभाव क्या है?

1. रविवार को पड़ने वाले पंचक को रोग पंचक कहते हैं।

 इसमें व्यक्ति पांच दिनों तक शारीरिक और मानसिक तनाव में रहता है। इस पंचक को सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है।

 

2. सोमवार को पड़ने वाले पंचक को राज पंचक कहते हैं।

इस पंचक को शुभ माना जाता है। इस पंचक के दौरान सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है। इस पंचक के दौरान संपत्ति से जुड़े काम करना शुभ माना जाता है।

 

3. मंगलवार को पड़ने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं।

इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामले आपके नियंत्रण में रहेंगे। इस पंचक के दौरान निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी से जुड़े काम शुरू करना अशुभ माना जाता है।

 

4. शुक्रवार को पड़ने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं।

इस पंचक के दौरान यात्रा करना वर्जित होता है। चोर पंचक के दौरान लेन-देन और व्यापार से जुड़े काम नहीं करने चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान होता है।

 

5. शनिवार को पड़ने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं।

मृत्यु पंचक के दौरान व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से कष्ट उठाना पड़ता है। इसके प्रभाव से दुर्घटना और चोट लगने का खतरा हमेशा बना रहता है।

बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में भी उपरोक्त बातों का पालन करना आवश्यक नहीं माना जाता है। इन दो दिनों में पंचक के पांच कामों को छोड़कर कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।

 

पंचक नक्षत्र और उनके प्रभाव

  1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है। इस अवधि में अग्नि से दुर्घटना होने की संभावना रहती है।
  2. शतभिषा नक्षत्र में झगड़े और शारीरिक कष्ट की संभावना रहती है।
  3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में बीमारी की संभावना रहती है।
  4. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जुर्माना या कोई शुल्क देने की संभावना रहती है।
  5. रेवती नक्षत्र में आर्थिक हानि की संभावना रहती है। इस अवधि में व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

 

पंचक लगने पर क्या करना चाहिए - पंचक शांति कैसे किया जाता है?

  1. पंचक काल के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए लेकिन अगर आपको इस दिशा में जाना जरूरी है तो हनुमान जी को फल अर्पित करें और उनकी पूजा करके आगे बढ़ें। 

    इससे आपकी यात्रा में पंचक काल का दोष कम होता है।

  2. अगर पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके प्रभाव से बचने के लिए शव के साथ 5 पुतले बनाकर अर्थी पर रख दिए जाते हैं। 

    ये पुतले आटे या कुश के बने होते हैं। इन पांचों पुतलों का शव के साथ अर्थी में पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे पंचक दोष समाप्त हो जाता है। 

    ऐसा माना जाता है कि अगर पंचक काल में किसी की मृत्यु होती है तो उसके परिवार के पांच अन्य लोगों की भी मृत्यु हो जाती है।

  3. पंचक काल के दौरान अगर आप लकड़ी का फर्नीचर या कोई अन्य सामान खरीद या बेच रहे हैं तो पहले देवी गायत्री की पूजा करें। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
  4. अगर घर की छत बनवाना जरूरी है तो मजदूरों को काम पर लगाने से पहले उन्हें मिठाई खिलाएं। ऐसा करने से पंचक काल का प्रभाव खत्म हो जाएगा।

 

 

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